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Showing posts from September, 2018

उफ़्फ़! ये नींद

जब हम चाहते हैं , तब क्यों नहीं आती है ? करते हैं लाख कोशिशें, वो भी विफल हो जाती हैं। लेकिन, जब भी उसका मन हो हम रोक नहीं पाते, उफ़! क्या बताएं साहब, ये नींद बहुत सताती है । क्या समझते हो ? कि हम नहीं चाहते सुबह जागना, 'दूसरी दुनिया' वालों की तरह 'फिटनेस' को भागना, हमारी दुनिया भी किसी को समझ कहाँ आती है,,,, उफ़! क्या बताएं साहब, ये नींद बहुत सताती है । हाँ, हम भी उठे थे समझौता करके एक प्रातः काल, गए फिर 'दूसरी दुनिया' में बदलने अपनी चाल, अरे ये क्या,,,यहाँ तो दूसरी प्रजाति नज़र आती है उफ़! क्या बताएं साहब, ये नींद बहुत सताती है । देखते ही उनको लगा, कि हम भी जीत लेंगे ये 'जंग', 'बेटा तुझसे न हो पायेगा' ,ये कहने लगा  अंतरंग उस 'इतिहास' की कभी कभी याद आ जाती है। उफ़! क्या बताएं साहब, ये नींद बहुत सताती है । बीत चुके हैं अरसों अब, खुद को बदलते बदलते, अभी बस उतना ही बदले हैं, जितना 'मरते का न करते', अब जितनी भी आवाजें आती हैं,यही 'व्यंग्य' सुनाती हैं, उफ़! क्या बताएं साहब, ये नींद बहुत सताती है ।        

ज़िन्दगी

करना पड़ता है वो भी, जो नहीं चाहते हम कभी। बस इसी मज़बूरी का तो नाम ज़िन्दगी है। सफल होना मक़सद नही,असफल भी होते हैं हम, बस इसके लिए किया गया काम ज़िन्दगी है। अपना गांव छोड़े, घर वार छोड़े, पर याद संजोए हुए हैं,,, अब फिर लौट आने का इंतजाम ज़िन्दगी है। रख कर दिमाग अपने घर में, निकल जाते थे दोस्तों के साथ, बस वही 'अनमोल' सुबह और शाम ज़िन्दगी है। हंसना, रोना, खाना ,सोना सबमें कुछ 'अलग' ही मज़ा था । घर में थे तो इस 'सफर' के बारे में सोचना भी सज़ा था। बस इसी पल तक हम अनजान थे 'इस' ज़िन्दगी से, 'वो' सुकून से किया गया 'आराम' ज़िन्दगी है। अब निकले हैं अनजाने सफर पर, कुछ तय करके पैमाने, ये 'करना' है और ये 'नहीं करना' , लगे खुद को समझाने , जो 'किये'  और जो 'नहीं किये' सब बन गए ज़िन्दगी के 'किस्से'; अब जो भी हम हासिल करेंगे, वही मुक़ाम ज़िन्दगी है।

"अस्तित्व"

वो जब पूंछे हमसे कि किससे है मोहब्बत सबसे ज्यादा,,,, हमने बिना सोचे उनका नाम ले लिया । वो हमसे कुछ दूसरी ही उम्मीद किये हुए थे,,,,,, हमने भी मुस्कुराकर कह दिया-  'अरे नही' , "माँ-बाप" तो "अस्तित्व" हैं हमारे ।।

'वजह'

हम निकले थे अपनी मुस्कुराहटों को ढूंढने के लिए,,,,,   जितनी थीं भी ,वो भी पता नहीं, कहाँ गयीं,,,,,,,?           फिर,जब हम बन गए दूसरों के मुस्कुराने की वजह,,,,,,                बस यही वजह हमारे 'मुस्कुराने की वजह' बन गयी ।।।   ~@imgautam_pn