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वक़्त

बेवक़्त ही चल पड़ा था उम्मीदों पर अपने,,,,
और वक्त ने हक़ीक़त से रूबरू करा दिया।।
@imgautam_pn

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गाँव

  गाँव' जब सुनते हैं ये शब्द तो क्या आते हैं ख़्याल, खुद में मगन वो नदियां पानी से भरे तालाब, हरी भरी पगडंडी पर मुस्काते हुए किसान । पर जाते हैं जब 'गांव' अस्तित्व से जूझती नदियां खाली से पड़े तालाब वीरान पड़ी गलियों पर सिसक रहा किसान।।   -पंकज नयन गौतम