Skip to main content

सिलसिला

 

बस ऐसे ही बढ़ता गया 

उन गुनाहों का सिलसिला ,

जब मैंने कहा कि यह -

तो तुमने भी किया है ।

     -पंकज नयन गौतम

Comments

Popular posts from this blog

गाँव

  गाँव' जब सुनते हैं ये शब्द तो क्या आते हैं ख़्याल, खुद में मगन वो नदियां पानी से भरे तालाब, हरी भरी पगडंडी पर मुस्काते हुए किसान । पर जाते हैं जब 'गांव' अस्तित्व से जूझती नदियां खाली से पड़े तालाब वीरान पड़ी गलियों पर सिसक रहा किसान।।   -पंकज नयन गौतम