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घर याद आता है!

हाँ, मैं भी आया हूँ कहीं दूर अपनों से ,
सोंचकर कि वहीं मुलाकात होगी सपनों से,
हाँ, आसान होता है यह ,मैनें माना भी था,
मैं 'निर्दोष' इन सबसे अनजाना भी था
अब जब भी वक्त कोई नया गीत गाता है,
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है ।
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है ।

चुना वही कदम , चुनते हैं सब जिसे,
चलकर इस रस्ते में, बना लेंगे अपना इसे,
नज़र आईं खुशियां जब रूबरू न थे,
भले ही चल पड़े मगर तब 'शुरू' न थे,
जब भी मुझे वो 'पहल' ख्याल आता है,
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है ।

मिलता था जो भी खा लेते थे सब,
'नापसन्द' शब्द से ना वाकिफ़ थे तब,
प्यार के साथ हमको तो मिलता भी था,
भूख मिटने के साथ मन तो भरता भी था,
यहां का खाना जब बिल्कुल न भाता है,
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।

 यहां अन्धकार का नामोनिशां ही नहीं,
 हम ढूंढते थे जिसे है वही बस यहीं,
तब नाचीज़ थी जो अब वो अनमोल है,
दूर करते जिसे अब वो खुद गोल है,,
अब जब जब यहां 'तम'* नज़र आता है,
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।

दिमाग से तो अब जुड़ ही गया ये शहर,
कोसों दूर है अब भी ये  दिल से मगर,
व्यस्त तो हो गए फिर भी थम से गये,
मिला कुछ नहीं 'हम' भी 'हम' से गये,
जब जब इन सबसे  मेरा मन भर जाता है,
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।
तब तब मुझे मेरा घर याद आता है।

Meanings-:
(तम*=अन्धकार)

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