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''माँ-बाप मुस्कुराएं तो,,,,,,"

- स्वर्ग से भी ऊंची वो मन्जिल मिल जाती हैं
ख्वाहिशों के बागों की सब कलियां खिल जाती हैं,,
खुश होते हैं तब हम दिल की गहराइयों से,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।१।


ये असीमित गगन बस यही कह रहा है,
स्थिर समुन्दर भी हमसे यही कह रहा है,
सृष्टि का तो नियम बस यही चल रहा है,
अविरल नदियां औए हवाएं यही गुनगुनाती हैं,,,,,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।२।


न जरूरत मुझे किसी अन्य भक्ति से है,
इस निस्वार्थ मन को न किसी शक्ति से है,
न परम् ज्ञान और  न मोक्ष , मुक्ति से है,
ये सब भी मिलकर बस यही गीत गाती हैं,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।३।


श्रद्धा,पूजा, तप ,वन्दन सब तो इनमें ही है,
हम भी  ढूँढ़ते जो भगवन  वो इनमें ही है,
शास्त्र, ग्रन्थ जितने सनातन सब इनमें ही है,
 मन्त्र, वैदिक ऋचाएं सब यही धुन सुनाती हैं,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।४।


जिन्होंने मुझको 'लिखा' उनको मैं क्या लिखूं,
अस्तित्व जिनसे है मेरा, उन्हें बयाँ क्या करूँ,
सम्पूर्ण महाकाव्य हैं, चंद पंक्तियों में कह न सकूँ
जब हृदय से आये विचार तो कलम चल जाती है,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।५।


सदैव मिलती थी खुशियां जब बच्चे थे हम ,
प्यार पाकर मां-बाप का दिल के सच्चे थे हम,
दिल से मज़बूत थे पर दिमाग से कच्चे थे हम,
बचपन की कहानियां ही इसलिए याद आती हैं,
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।६।


पूरी दुनिया की अच्छाइयों को लिखा जब गया,
हो गया भारी पलड़ा जब मैंने  'मां' लिख दिया,
ऊर्जाश्रोत और मार्गदर्शक 'पिता' लिख दिया,
सच्चे आत्मा और मन से यही आवाज आती है
माँ-बाप मुस्कुराएं तो सारी कायनात मुस्कुराती है।७।


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