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तू सत्य का सामना कर

बस छोड़ दे संसार को,
न सोच तू व्यवहार को,
ना मोह के विचार को,
बस एक ही उपासना कर,
तू सत्य का सामना कर ।।

जो हो चुका, वो हो चुका,
जो हो रहा, वह हो रहा,
जो होना है, वो होना है,
इनसे व्यथित खुद को ना कर,
तू सत्य का सामना कर ।।

'खुशी', बस एक शब्द मात्र,
'दुःख' भी है एक शब्द मात्र,
अभिनय करते तो नाट्यपात्र,
रोया ना कर, तू हँसा ना कर,
तू सत्य का सामना कर ।।

तू बन जा अब तो उदासीन,
भव बैठक से हो निरासीन,
रहना होगा अब शून्यलीन,
अब बस यही आराधना कर,
तू सत्य का सामना कर ।।

सत्य क्या है? , 'कुछ नहीं'
ये अनंत है ये शून्य ही,
यह तो स्वयं भगवान ही,
अन्यत्र अब जाया न कर,
तू सत्य का सामना कर ।।

                     - पंकज नयन गौतम

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