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उम्मीद

 

अब उम्मीद को भी,

लगने लगी हैं

हमसे ही उम्मीद ।

कि यदि हमने ही,

उम्मीद पर से,

उठा लिया उम्मीद,

तो छोड़ ही देगा, 

उम्मीद खुद से -

खुद की ही उम्मीद।

उम्मीद की ख़ातिर,

बस थोड़ा सा

कर लें क्या उम्मीद

उम्मीद है शायद

उम्मीद की भी

बची रहे उम्मीद।।


-पंकज नयन गौतम

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