मेरे दुःख और पीड़ा की तीव्रता,
तब तुमको पुकारती आवाज,
सब बिल्कुल वैसी ही हैं ।
जो कुछ भी बदल गया अब
वो हैं तुम्हारी संवेदनायें ,
तब तो अनुभव करती थीं
क्षणिक भर का भी परिवर्तन,
अब तो सब रिक्त सा है,
तुम्हारा मेरे प्रति अंतर्मन ।।
- पंकज नयन गौतम
मेरे दुःख और पीड़ा की तीव्रता,
तब तुमको पुकारती आवाज,
सब बिल्कुल वैसी ही हैं ।
जो कुछ भी बदल गया अब
वो हैं तुम्हारी संवेदनायें ,
तब तो अनुभव करती थीं
क्षणिक भर का भी परिवर्तन,
अब तो सब रिक्त सा है,
तुम्हारा मेरे प्रति अंतर्मन ।।
- पंकज नयन गौतम
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