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आलिंगन

 

सुबह की धूप सा इश्क़ तेरा
और ओस की बूंदों सा मैं
आलिंगन की अंतिम परिणति
मिल जाऊँ बस तुझमे मैं ।।
       -पंकज नयन गौतम

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गाँव

  गाँव' जब सुनते हैं ये शब्द तो क्या आते हैं ख़्याल, खुद में मगन वो नदियां पानी से भरे तालाब, हरी भरी पगडंडी पर मुस्काते हुए किसान । पर जाते हैं जब 'गांव' अस्तित्व से जूझती नदियां खाली से पड़े तालाब वीरान पड़ी गलियों पर सिसक रहा किसान।।   -पंकज नयन गौतम