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गाँव

 


गाँव'

जब सुनते हैं ये शब्द

तो क्या आते हैं ख़्याल,

खुद में मगन वो नदियां

पानी से भरे तालाब,

हरी भरी पगडंडी पर

मुस्काते हुए किसान ।


पर जाते हैं जब 'गांव'

अस्तित्व से जूझती नदियां

खाली से पड़े तालाब

वीरान पड़ी गलियों पर

सिसक रहा किसान।।


  -पंकज नयन गौतम

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