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दोहे : परीक्षा की तैयारी

-लेना शुरू कर दीजिए, अपने प्रभु का नाम ।
पेपर शुरू अब हो गए, आयेंगे वे काम ।१।

आओ मेरे साथियों, हो जाओ तैयार ।
पुस्तक को कवच बनाइए, कलम बने हथियार ।२।

चौबीस घंटे का सिस्टम, सोच लिया अब जाय ।
जो भी बुक नहि पास में, उन्हें खरीदा जाय ।३।

पहले दिन की उत्सुकता,पूरा दिन लिए सोय ।
यही सोचकर रात में, अधिक पढ़ाई होय ।४।

पूरे दिन अपने अंदर,समझाते यह बात ।
दो नींद के होते ही, आय गई वो रात ।५।

तीस मिनट तो प्रेम से, लिये पेज पलटाय ।
बोला 'अंदर' से कोई, अब चाय हो जाय ।६।

फिर आते हैं मुद्दे पर, लिए किताब को खोल ।
तब मोबाइल उछल पड़ा, मुझसे भी कुछ  बोल ।७।

फेसबुक ट्विटर एप्प्स फिर, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम ।
इनमें दिल फिर रम गया, भूले अपना काम ।८।

कल से पक्का पढ़ लेंगे, लिये यही फिर ठान ।
तान रजाई सो गये,ठीक समय को जान ।९।

समय और हम खेलते, रोज यही अब खेल ।
कल पेपर से सामना, और हमारा मेल ।१०।

                     -   पंकज नयन गौतम

Comments

  1. क्या लिखे हो भाई

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    1. जो किये वही लिखे,,😅😅

      Thanks for coming in "The New World".

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    2. हम तो पहले से ही आपके fan हैं भैया

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    3. तो क्या बोलते हैं ?

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  2. Replies
    1. Dhanyawad bhaiya.

      Thanks for coming in "The New World".

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  3. बात एकदम सही बोले भाई

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    Replies
    1. अनुभव वाली बातें हैं😀😀😀

      Thanks for coming in "The New World".

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  गाँव' जब सुनते हैं ये शब्द तो क्या आते हैं ख़्याल, खुद में मगन वो नदियां पानी से भरे तालाब, हरी भरी पगडंडी पर मुस्काते हुए किसान । पर जाते हैं जब 'गांव' अस्तित्व से जूझती नदियां खाली से पड़े तालाब वीरान पड़ी गलियों पर सिसक रहा किसान।।   -पंकज नयन गौतम